+0121 243 9032
Chhoti Panchli, Bagpat Marg, Meerut, Uttar Pradesh 250002
09:00 - 21:00
0
  • No products in the cart.
VIEW CART Total: 0

तप

#striped-custom-6802c21863108 h3:after {background-color:#e07523!important;}#striped-custom-6802c21863108 h3:after {border-color:#e07523!important;}#striped-custom-6802c21863108 h3:before {border-color:#e07523!important;}

तप

हमारे दिमाग से यह पूरी तरह से मिटा देना है कि भोजन ऊर्जा का स्रोत है। वास्तव में भोजन केवल शरीर निर्माण सामग्री है। शरीर 25 वर्ष की आयु तक बनता है। हालांकि, टूटी हुई कोशिकाओं का प्रतिस्थापन जन्म से मृत्यु तक जारी रहता है। इस प्रकार 25 वर्ष की आयु के बाद भोजन की मात्रा की आवश्यकता काफी कम हो जाती है। रोग मुक्त शरीर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, विशेष रूप से 25 के बाद, निम्नलिखित मानदंड अपनाए जा सकते हैं।

सुबह का नाश्ता नहीं। करीब 11 बजे ग्रीन जूस या फल/सब्जियों का जूस/ सब्जियों का सूप लेना चाहिए।

दोपहर के भोजन के समय (दोपहर 12 से 1:30 बजे तक) केवल सलाद और फलों का ही सेवन करना चाहिए।

रात के समय केवल एक भोजन जिसमें सब्जियां, अनाज, दालें, चावल, ब्रेड शामिल हों, लेना चाहिए। सब्जियों की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए।

भोजन की मात्रा गतिहीन, मध्यम या कठिन कार्य के प्रकार पर निर्भर करती है। सप्ताह में एक बार उपवास करना आवश्यक है और रात को बहुत हल्का भोजन करना चाहिए।

साल में दो बार नवरात्र के दौरान 8 दिन का उपवास अवश्य रखना चाहिए।
इस प्रकार का तप (उपवास) अयोध्या के सभी नागरिकों द्वारा किया जाता था।

तप के लाभ-

  • शरीर को शुद्ध करता है।
  • रोगों से बचाता है।
  • शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है।
  • कोलेस्ट्रॉल कम करता है।
  • सभी अंगों के कार्यों में सुधार करता है।
  • मन तनावमुक्त हो जाता है।
  • अलगाव लाता है।
  • ध्यान में मदद करता है।
  • चेतना का उत्थान करता है।